चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने कहा- ताउम्र आजाद बने रहेंगे भारत के वीर सपूत चंद्रशेखर..
एक्सप्रेस न्यूज़, बक्सर: चंद्रशेखर आजाद के पुण्यतिथि ब्राम्हण एकता मंच एवं सामाजिक संगठन नमामि बक्सर के संयुक्त तत्वाधान में मनाई गई. साथ ही मौजूद लोगों को देश के इस सपूत की वीरगाथाओं से प्रेरणा लेने की बात कही गई. बता दें कि 27 फरवरी 1931 में इलाहाबाद के कम्पनी बाग स्थित अल्फ्रेड पार्क में स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद अग्रेजों से लडाई करते हुए शहीद हो गए थे. शनिवार को उनकी शहादत दिवस पर ब्राम्हण एकता मंच एवं सामाजिक संगठन नमामि बक्सर के कार्यकर्ताओं एवं युवाओं द्वारा उनकी वीर गाथा को याद किया गया. साथ ही उनकी वीर गाथा से मौजूद लोगों को प्रेरणा लेने को कहा गया. इस दौरान भारी संख्या में बुद्धिजीवी वर्ग से लेकर ब्राह्मण एकता मंच एवं नमामि बक्सर के कई कार्यकर्ता तथा युवा वर्ग के लोग मौजूद रहे. इस दौरान आए काफी लोगों ने चंद्रशेखर आजाद को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान कार्यक्रम का संचालन प्रभाकर मिश्रा ने किया एवं समापन दुर्गेश कुमार विद्रोही ने किया. चंद्र भूषण ओझा एवं भाजपा नेता हिमांशु चतुर्वेदी ने दीप प्रज्वलित कर विधिवत कार्यक्रम की शुरुआत की.
आयोजन के दौरान वक्ताओं ने अपनी-अपनी वक्तव्य रखा. इस दौरान अपने वक्तव्य में राघव पाण्डेय कहा कि अंग्रेजों से मोर्चा लेते समय चंद्रशेखर आजाद ने जिस पिस्टल का उपयोग किया था. वह आज भी कम्पनी बाग स्थित इलाहाबाद संग्रहालय में सुरक्षित है. आजाद की पूण्य तिथि पर संग्रहालय में लोगों का भीड़ उमड़ती है एवं उनके प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित कर लोग अंग्रेजों से मोर्चा लेने के दौरान उपयोग किए गए पिस्टल को जिसे की संग्रहालय में रखा गया है उसे देखते हैं. उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में आज का दिन स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है.
भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की आज पुण्यतिथि है. 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजों से लड़ते हुए वह शहीद हो गए थे. आज भी अंग्रेज 'आजाद' का नाम बहुत सम्मान से लिया करते हैं. चंद्रशेखर आजाद ने कसम खाई थी कि चाहें कुछ भी हो जाए. लेकिन, वह जिंदा अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे. इसलिए जब 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजों ने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में उन्हें चारों तरफ से घेर लिया था तो उन्होंने अकेले ही ब्रिटिश सैनिकों से मुकाबला किया. जब उनकी रिवाल्वर में आखिरी गोली बची तो उन्होंने खुद पर ही गोली चला दी. जिससे वह जिंदा न पकड़े जाएं. आजाद को डर था कि अगर वह जिंदा पकड़े गए तो अंग्रेजी हुकूमत को जड़ से मिटाने का उनका सपना अधूरा रह जाएगा.
इस कार्यक्रम में अखिलेश पांडेय, ऋषिकेश त्रिपाठी, पंकज भारद्वाज, अविनाश पांडेय, रूपेश दुबे, विकाश पांडेय, अनिल पांडेय,प्रभाकर मिश्र, चंदन चौबे,अभिषेक ओझा,राघव कुमार पाण्डेय,संजय ओझा,शिवजी दुबे,शिवानंद उपाध्याय,मुकुंद सनातन,अवि सम्राट आदि सैकड़ों लोग मौजूद थे।
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