-अलग-अलग प्रखंडों के 10 चिन्हित गांवों में 40-40 लोगों का लिया गया सैंपल.
-जिले के 100 चिकित्सा कर्मियों की भी हुई जांच, एक माह बाद आएगी रिपोर्ट.
एक्सप्रेस न्यूज़, बक्सर: जिले में कोरोना का संक्रमण प्रसार भले ही कम हो गया हो, लेकिन स्वास्थ्य समिति अभी भी संक्रमण के अंदेशे को नकार नहीं रही है. इसके लिए समय-समय पर जिले के विभिन्न इलाकों से सामुदायिक स्तर पर कोरोना वायरस के संक्रमण दर जानने हेतु सीरो सर्वे किया जा रहा है. बीते दिन जिले में सीरो सर्वे का तीसरा चरण पूरा हुआ है, जिसमें लगभग 500 लोगों में कोरोना संक्रमण की जांच की गई है. विभाग ने 10 गांवों का चयन किया था. जिसमें 40-40 लोगों का सैंपल लिया जाना था. वहीं, जिले के 100 स्वास्थ्य कर्मियों की भी जांच की जानी थी. इसके लिए पांच दो सदस्यीय टीम का गठन किया गया, जिन्होंने दो दिनों में सैंपल इकट्ठा किया.
समुदाय में कोविड-19 के प्रसार दर की मिलेगी जानकारी :
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राज किशोर सिंह ने बताया जिस व्यक्ति के अंदर कोई बीमारी हो जाती है, तो शरीर में उसके खिलाफ एंटीबॉडी बन जाती है. बहुत से लोगों में बीमारी के लक्षण नहीं दिखते हैं. एंडीबॉडी से समुदाय में इन बीमारियों की प्रसार दर के बारे में पता चल सकेगा. साथ ही, कोरोना वायरस के सामुदायिक संक्रमण की भी जानकारी हो सकेगी. सर्वे से यह पता लगाया जाएगा कि कितनी आबादी कोरोना वायरस से संक्रमित हुई है. कह सकते हैं कि कितने प्रतिशत लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्युनिटी) हुई है. सीरो सर्वे में किसी क्षेत्र में रहने वाले कई लोगों के खून के सीरम की जांच की जाती है. लोगों के शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडी की मौजूदगी के साथ ही यह पता चल जाता है कि कौन सा शख्स इस वायरस से संक्रमित था और फिलहाल ठीक हो चुका है.
सभी लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है भिन्न :
डॉ. आरके सिंह ने बताया जिले में कोविड-19 के खिलाफ सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्युनिटी) अनेक सामाजिक-आर्थिक समूहों को देखते हुए कुछ इलाकों में ही विकसित हो सकती है. साथ ही, लंबे समय के बजाय कम समय तक रह सकती है. हर्ड इम्युनिटी तब विकसित होती है, जब किसी सामान्य तौर पर 70 से 90 फीसदी लोगों में किसी संक्रामक बीमारी से ग्रसित होने के बाद उसके प्रति रोग प्रतिरक्षा क्षमता विकसित हो जाती है. जिसे सिर्फ सीरो सर्वे के माध्यम से ही जाना जा सकता है.
जब तक दवाई नहीं, तब तक कोई ढिलाई नहीं :
सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ ने बताया सरकार व स्वास्थ्य विभाग का भरपूर प्रयास है कि लोगों को जल्द से जल्द कोरोना वायरस का वैक्सीन दिया जाए. लेकिन, जब तक वैक्सीन की पूरी तरह से जांच नहीं हो जाती, तक तब वैक्सीन लोगों को नहीं दिया जाएगा. जिसमें थोड़ी देरी संभव है. ऐसे में लोगों को कोरोना के संक्रमण के खतरे को देखते सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है. जब तक जिले में कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक किसी भी प्रकार की ढिलाई उनके लिए हानिकारक साबित हो सकती है. इसलिए उन्हें कोविड-19 को लेकर जारी गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन करना होगा. मास्क की महत्ता और उचित शारीरिक दूरी की अहमित लोग खुद भी समझे और दूसरों को भी समझाएं.
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