- सुपोषण की अलख जगा कर लोगों को जागरूक करने में लगी हैं उषा.
- बच्चों को साफ-सफाई का महत्व समझा कर नियमित हाथ धोने की देती हैं सलाह.
एक्सप्रेस न्यूज़, बक्सर: पोषण में सुधार के लिए सामुदायिक व्यवहार परिवर्तन बेहद जरूरी होता है. गरीबी एवं अशिक्षा कुपोषण की वजह हो सकती है, लेकिन व्यवहार परिवर्तन के जरिए सुपोषण की अलख भी जगाई जा सकती है. इसे सिमरी प्रखंड के गायघाट स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 78 की सेविका उषा किरण ओझा ने सच कर दिखाया है. अपने आंगनबाड़ी केंद्र को पोषण केंद्र में तब्दील करने से लेकर सरकार की पोषण संबंधित योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन करने के हिसाब से उषा किरण ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है. सामुदायिक पोषण स्तर में सुधार लाने के लिए उनका बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं के साथ किशोरियों के व्यवहार परिवर्तन पर अधिक बल देना उन्हें अन्य सेविकाओं से अलग करता है. साथ ही, समुदाय के आदत में सुधार लाने के लिए अपने केंद्र पर में शत- प्रतिशत अन्नप्राशन, गोदभराई एवं नियमित अन्य पोषण संबंधित गतिविधियों का आयोजन कराना एवं घर-घर जाकर लोगों को इसके बारे में जागरूक करना एक सुपोषित समाज निर्माण की दिशा में होने वाले बदलाव को दर्शाता है.
व्यवहार परिवर्तन करने में मिली सफलता :
बाल कुपोषण की शुरुआत स्वच्छता एवं साफ-सफाई के आभाव के कारण होती है. इस बात को सेविका उषा किरण ओझा ने लोगों को बख़ूबी समझाया. उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्र में नामांकित बच्चों के व्यवहार परिवर्तन करने को ठानी. बच्चों को साफ-सफाई का महत्व समझाया. हाथ धुलायी के 10 विधियों का प्रदर्शन कर बच्चों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक किया. साथ ही बच्चों के अभिभावकों को भी बुलाकर इसके विषय में जानकारी दी. उनकी मेहनत कारगर साबित हुई. आज उनके पोषक क्षेत्र के बच्चे स्वच्छता का पूरा ध्यान रखते हैं. लॉकडाउन में भी उन्होंने घर-घर जाकर बच्चों व उनके अभिभावकों को नियमित हाथ धोने व साफ-सफाई रखने के लिए जागरूक किया.
नई पहल हुयी कारगर साबित :
सेविका उषा किरण ओझा ने छह माह तक के बच्चों के स्तनपान व उससे उपर के उम्र के बच्चों के लिए अनुपूरक आहार के संबंध में लोगों को जागरूक किया. उन्होंने प्रत्येक माह आंगनबाड़ी केन्द्रों पर होने वाले अन्नप्राशन दिवस पर अधिक बल दिया. इसके लिए उन्होंने अपने पोषक क्षेत्र के सभी 6 माह तक सभी बच्चों की सूची तैयार की. सूची के मुताबिक घर-घर जाकर बच्चों के अभिभावकों को पूरक आहार की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी. साथ ही, अन्नप्राशन दिवस पर शत-प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति भी सुनिश्चित कराई. उनके इस मेहनत के कारण आज उनके पोषक क्षेत्र में छह माह से अधिक के सभी बच्चों में पूरक आहार की शुरुआत हो चुकी है. वह पूरक आहार में दिए जाने वाले आहार का भी ख़्याल रखती हैं एवं अभिभावकों को पूरक आहार देने के विषय में भी जानकारी देती हैं.
आंगनबाड़ी केंद्र को बनाया पोषण केंद्र :
सेविका उषा किरण ओझा ने बताया पोषण के विषय में लोगों को जागरूक कर अच्छा अनुभव होता है. गांव के परिवेश में भी उपलब्ध आहार के सेवन से कुपोषण को खत्म किया जा सकता है. इसके लिए लोगों की आदतों में बदलाव लाना जरूरी है. बेहतर पोषण प्राप्त करना अभी भी लोगों की आदत का हिस्सा नहीं है। उन्होंने बताया इसके लिए वह आंगनबाड़ी केंद्र को एक पोषण केंद्र में तब्दील कर दिया है. जहां बच्चों, गर्भवती, धात्री एवं किशोरियों को बेहतर पोषण पर जानकारी देती है. उनका यह प्रयास कारगर भी साबित हो रहा है। आस-पास के लोग उनके इस प्रयास की तारीफ भी करते हैं.
उषा किरण एक कुशल एवं प्रभावी वक्ता भी हैं :
सिमरी के सीडीपीओ संगीता कुमारी ने बताया उषा किरण ओझा सेविकाओं के बीच एक रोल मॉडल हैं. साथ ही वह एक कुशल एवं प्रभावी वक्ता भी हैं. जनसमुदाय के बीच प्रभावी रूप से संदेश फैलाने एवं लोगों को जागरूक करने की कला उन्हें अन्य सेविकाओं से अलग करता है. पोषण माह के दौरान चलायी जा रही सभी गतिविधियों को वह अपने केंद्र पर बखूबी क्रियान्वित भी कर रहीं हैं.
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