- जन्म के साथ ही मां का पीला गाढ़ा दूध शिशु के रोग प्रतिरोधक क्षमता का करता है विकास
- स्तनपान के मदद से शिशु मृत्यु दर में लाई जा सकती है कमी
एक्सप्रेस न्यूज़, बक्सर: शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग कई योजनाएं संचालित कर रहा है. अभिभावकों की जागरूकता के साथ ही इन प्रयास पूरी तरह सफल बनाया जा सकता है. अभिभावकों को जागरूक करने के लिए गर्भावस्था के दौरान ही आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं के द्वारा माताओं को टिप्स दिए जाते हैं. इनमें महिलाओं को पौष्टिक आहार लेने के साथ प्रसव उपरांत गतिविविधों की भी जानकारी दी जाती है जिसमें स्तनपान एक महत्वपूर्ण कड़ी है. चिकित्सकों के अनुसार गर्भ में 9 महीने रहने के बाद शिशु का माता के साथ गहरा जुड़ाव कायम हो जाता है. इसलिए जन्म के तुरंत बाद शिशु को प्राकृतिक रूप से स्तनपान का वरदान प्राप्त होता है.
सिजेरियन प्रसव में भी एक घंटे के अंदर स्तनपान :
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि भूषण श्रीवास्तव ने बताया जन्म के शुरुआती एक घंटे के भीतर शिशुओं के लिए स्तनपान अमृत समान होता है. इस दौरान स्तनपान की शुरुआत कराने से शिशु आसानी से स्तनपान कर पाता है. सामान्य एवं सिजेरियन प्रसव दोनों स्थितियों में एक घंटे के भीतर ही स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है. इससे शिशु के रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. जिससे बच्चे का निमोनिया एवं डायरिया जैसे गंभीर रोगों में भी बचाव होता है. जन्म के शुरुआती दो घंटों तक शिशु अधिक सक्रिय रहते हैं, इसलिए शुरुआती एक घंटे के भीतर ही स्तनपान शुरू कराने की सलाह दी जाती है. इससे शिशु सक्रिय रूप से स्तनपान करने में सक्षम होता है. साथ ही, 6 माह तक केवल स्तनपान भी जरूरी होता है.
शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का होता है विकास :
सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ ने बताया जन्म के शुरूआती समय में एक चम्मच से अधिक दूध नहीं बनता है. यह दूध गाढ़ा एवं पीला होता है. जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है. इसके सेवन करने से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. कई परिवारों में इसे गंदा या बेकार दूध समझकर शिशु को नहीं देने की सलाह देते हैं. दूसरी तरफ़ शुरूआती समय में कम दूध बनने के कारण कुछ लोग यह भी मान लेते हैं कि मां का दूध नहीं बन रहा है. यह मानकर बच्चे को बाहर का दूध पिलाना शुरू कर देते हैं. जो बच्चे के साथ माताओं के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है. बच्चे के लिए यही गाढ़ा पीला दूध जरूरी होता है एवं मां का शुरूआती समय में कम दूध बनना भी एक प्राकृतिक प्रक्रिया ही है.
प्रसव के बाद कोविड के इन नियमों का करना होगा पालन : बिना मास्क के शिशुओं को गोद में न लें. शिशुओं को गोद में लेने के पूर्व हाथों को साबुन से अच्छे से धोएं. शिशुओं व नवजात बच्चों को बाहरी लोगों के सीधे संपर्क में न आने दें. अस्पताल में चिकित्सा कर्मी व अन्य मरीजों से शारीरिक दूरी बना कर रहें.
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