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बदलते मौसम में रहें मच्छरों से सावधान..



- साफ़-सफ़ाई के प्रति रहें सतर्क, डेंगू होने का ख़तरा होगा कम 
- सही प्रबंधन के आभाव में डेंगू हो सकता है जानलेवा

एक्सप्रेस न्यूज़, बक्सर: मच्छर जनित रोगों में डेंगू अति गंभीर रोगों की श्रेणी में आता है. इसलिए डेंगू के प्रति सामुदायिक जागरूकता बढ़ाना और लोगों को साफ़ सफाई के महत्त्व के बारे में जागरूक करने हेतु स्वास्थ विभाग निरंतर प्रयासरत है. बरसात के मौसम में जगह जगह जलजमाव ने विभाग के सामने चुनौतियाँ पेश की हैं और स्वास्थ्य विभाग ऐसी जगहों पर दवा का छिडकाव कर रहा है. स्वच्छता का ध्यान रखकर एवं कुछ सावधानियां अपनाकर डेंगू के प्रकोप से स्वयं को बचाया जा सकता है.
मच्छरों से रहें सावधान: जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने बताया डेंगू एवं चिकनगुनिया की बीमारी संक्रमित एडीस मच्छर के काटने से होती है. यह मच्छर सामान्यता दिन में काटता है एवं यह स्थिर पानी में पनपता है. डेंगू का असर शरीर में 3 से 9 दिनों तक रहता है. इससे शरीर में अत्यधिक कमजोरी आ जाती है और शरीर में प्लेटलेट्स लगातार गिरने लगती है. वहीँ चिकनगुनिया का असर शरीर में 3 माह तक होती है. गंभीर स्थिति में यह 6 माह तक रह सकती है. डेंगू एवं चिकनगुनिया के लक्षण तक़रीबन एक जैसे ही होते हैं. इन लक्षणों के प्रति सावधान रहने की जरूरत है.
साफ़ पानी में पनपता है डेंगू का मच्छर: डॉ. शैलेन्द्र ने बताया ऐडीज नामक मच्छर के काटने से डेंगू बुखार होता है. यह मच्छर साफ़ पानी में पनपता है जो ज़्यादातर दिन में ही काटता है. डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है. 3 से 7 दिन तक लगातार बुखार, तेज सर में दर्द,पैरों के जोड़ों मे तेज दर्द, आँख के पीछे तेज दर्द, चक्कर एवं उल्टी, शरीर पर लाल धब्बे आना एवं कुछ मामलों में आंतरिक एवं बाह्य रक्त स्त्राव होना डेंगू के लक्ष्ण में शामिल है. डेंगू का कोई सटीक ईलाज तो उपलब्ध नहीं है पर कुशल प्रबंधन एवं चिकित्सकों की निगरानी से डेंगू को जानलेवा होने से बचाया जा सकता है. इसलिए जरुरी है कि डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सकीय सलाह ली जाए.  साथ ही बिना चिकित्सकीय सलाह के बुखार की दवा खाना ख़तरनाक हो सकता है.
3 प्रकार के होते हैं डेंगू: डॉ. सिंह ने बताया डेंगू मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं. साधारण डेंगू, डेंगूहैमरेजिक बुखार एवं डेंगूशॉक सिंड्रोम. ज़्यादातर लोगों को साधारण डेंगू ही होता है जो कुछ परहेज करने से ठीक हो जाता है. डेंगूहैमरेजिक बुखार एवं डेंगूशॉकसिंड्रोम गंभीर श्रेणी मे आते हैं. यदि इनका शीघ्र ईलाज शुरू नहीं किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है. डेंगूहैमरेजिक बुखार एवं डेंगूशॉकसिंड्रोम में मरीजों के उपचार के लिए रक्तचाप एवं शरीर में खून के स्त्राव का निरीक्षण करना जरुरी होता है. डॉ. सिंह ने बताया 1 प्रतिशत डेंगू ही जानलेवा है, लेकिन बेहतर प्रबंधन के आभाव में डेंगू 50 प्रतिशत तक ख़तरनाक हो सकता है.
ऐसे करें बचाव: 
- घर में साफ सफाई पर ध्यान रखें ,कूलर एवं गमले का पानी रोज बदलें
- सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें. मच्छर भागने वाली क्रीम का इस्तेमाल दिन में करें
- पूरे शरीर को ढंकने वाले कपडे पहने एवं कमरों की साफ़-सफाई के साथ उसे हवादार रखें
- आस-पास गंदगी जमा नहीं होने दें. जमा पानी एवं गंदगी पर कीटनाशक का प्रयोग करें
- खाली बर्तन एवं समानों में पानी जमा नहीं होने दें. जमे हुए पानी में मिट्टी का तेल डालें 
- डेंगू के लक्षण मिलने पर तुरंत ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें






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