भीड़ जुटाने में पप्पू यादव को पीछे छोड़ गए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, मातमपुर्सी के बहाने अपने गढ़ में किया गया शक्ति प्रदर्शन..
- लॉकडाउन के नियमों तथा सोशल डिस्टेंसिंग की खुले आम उड़ाई गई धज्जियां.
- कार्यक्रम के दौरान बगैर मास्क पहने ही मौजूद रहे कई कार्यकर्ता एवं समर्थक.
एक्सप्रेस न्यूज़, बक्सर: जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव के बक्सर पहुंचने के पश्चात राजद को अपने जनाधार की खिसकने की चिंता सताने लगी. जिसके पश्चात आनन-फानन में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बक्सर पहुंच गए. जहां उन्होंने जिले के नया भोजपुर में राजद के दिवंगत नेता सरफराज अहमद के परिजनों से मिलकर मातमपुर्सी एवं चक्की के दिवंगत मुखिया स्वर्गीय धनराज यादव के ब्रह्म भोज के बहाने शक्ति प्रदर्शन कर दिखाया कि राजद का जनाधार अभी काम नहीं हुआ है. राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के साथ वह ब्रह्मपुर विधानसभा इलाके के चक्की और नया भोजपुर में कई कार्यक्रमों में शामिल हुए. इसके लिए पूर्व में ही पार्टी कार्यकर्ताओं ने व्यापक तैयारी कर रखी थी. बताते चलें कि नया भोजपुर एवं चक्की में तेजस्वी यादव के कार्यक्रमों के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग तथा लॉकडाउन के नियमों का खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई. कार्यक्रम में मौजूद कई कार्यकर्ता तो बगैर मास्क पहने ही एक दूसरे से धक्का-मुक्की करते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के एक झलक पाने के लिए बेकाबू होते हुए नजर आए. वहीं, आम जनों में भी सोशल डिस्टेंसिंग तथा लॉकडाउन के नियमों का पालन जरा सी भी नहीं दिखी.
बताया जा रहा है कि पप्पू यादव की जनसभा में जितनी भीड़ हुई थी उससे ज्यादा भीड़ दिखाकर राजद का शक्ति प्रदर्शन करने का निर्देश पूर्व में ही स्थानीय नेताओं को प्रदेश के नेताओं से मिला हुआ था. हैरानी की बात तो यह है कि कोरोना काल में जारी लॉक डाउन का भी कार्यकर्ताओं के द्वारा अनुपालन नहीं किया गया. भीड़ इतनी थी कि एक दूसरे से धक्का-मुक्की करते हुए लोग एक दूसरे पर गिरे जा रहे थे. नतीजा यह हुआ कि समर्थकों तथा कार्यकर्ताओं के भारी भीड़ के बीच चाह कर भी नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव मीडिया कर्मियों से अपनी बात नहीं कह सके. हालांकि, अपने छोटे से संवाद में उन्होंने यह जरूर कह दिया कि बिहार में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. बिहार बर्बादी की तरफ जा रही है. राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के द्वारा जनता को बरगलाने का कार्य किया जा रहा है. शक्ति प्रदर्शन के लिए जिस भीड़ को जुटाया गया था. उसी भीड़ के कारण काफ़ी कोशिश करने के बाद भी तेजस्वी यादव अपनी पूरी बात मीडिया के सामने नहीं रख सके और धक्का-मुक्की के बीच उन्हें आगे निकल जाना पड़ा. चिंतन का विषय यह है कि लॉकडाउन के दौरान आम जनों को सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन तथा भीड़भाड़ वाले आयोजन को करने से मना किया जा रहा है. साथ ही साथ लोगों को भीड़ भाड़ में जाने से परहेज करने की बात कही जा रही है. वहीं, दूसरी तरफ मातमपुर्सी के बहाने नेतागण खुलेआम सोशल डिस्टेंसिंग एवं लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. सवाल यह खड़ा होता है कि क्या लॉकडाउन केवल आम जनों के लिए ही है?
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