एक्सप्रेस न्यूज़, बक्सर: अधिवक्ता संघ के पूर्व महासचिव रामनाथ ठाकुर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए व्यवहार न्यायालय में किए जाने वाले न्यायिक कार्यों का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि हर अधिवक्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुकदमों की फाइलिंग तथा कार्य करने में असमर्थ है. ऐसे में यह उचित नहीं है.
उन्होंने अधिवक्ता संघ के बिहार प्रदेश अध्यक्ष को प्रेषित अपने पत्र में कहा है कि, "मेरा मानना है कि, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जो न्यायालय में कार्य किया जा रहा है, उससे लगभग 95 फीसद से ज्यादा अधिवक्ता साधन तथा ट्रेनिंग के अभाव में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कार्य करने में असमर्थ है, तथा मुकदमा दायर करने में भी असमर्थ हैं. अधिवक्ताओं को पूर्व में ई-कोर्ट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ट्रेनिंग नहीं दी गई है. ऐसे में लॉक डाउन की अवधि में कार्य करना बहुतायत अधिवक्ताओं के साथ अन्याय होगा और उनके पेट पर लात मारने के बराबर है.
ओपन कोर्ट में दोनों पक्ष के पक्षकार आमने सामने अपनी बात को रखते हैं जिससे मामले का खुलासा हो पाता है और सही निर्णय लेने में चूक नहीं होती. ऐसी स्थिति में 98 फीसद अधिवक्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए न्यायालय में हो रहे कार्य का विरोध करते हैं.
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