- जिले की 22 जीएनएम को अमानत ज्योति योजना के मॉड्यूल- दो का दिया गया प्रशिक्षण.
- सभी प्रखंडों से 2-2 मेंटर को प्रसव के दौरान आने वाली जटिलताओं की दी गई जानकारी.
एक्सप्रेस न्यूज़, बक्सर: जिले में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने तथा मातृ व शिशु स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अमानत ज्योति कार्यक्रम के तहत सिमुलेशन प्रशिक्षण शिविर आयोजित हुआजिसमें केयर इंडिया की मदद से जिले की 22 जीएनएम नर्सों को प्रशिक्षित किया गया. इसके लिए सभी प्रखंडों से 2-2 मेंटर्स का चयन किया गया था. इस चार दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में मेंटर्स को प्रसव के पूर्व व उसके दौरान की सभी तकनीकी पहलुओं से अवगत कराया गया. प्रशिक्षण में मरीजों के बुनियादी प्रक्रियाओं और उनमें आने वाली जटिलताओं की पहचान करने और उसका समुचित इलाज करने की जानकारी दी गई. इसके अलावा प्रशिक्षण शिविर के बाद जीएनएम नर्सों की परीक्षा भी ली गई.
माह में दो बार प्रशिक्षण शिविर का होता है आयोजन :
स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के साथ उसके सफल संचालन के उद्देश्य से सभी जीएनएम को विभिन्न मुद्दों पर माह में दो बार प्रशिक्षित किया जाता है. इसके लिए साल के पहले सप्ताह में वर्षिक ट्रेनिंग शेड्यूल जारी किया जाता है. बीते 26 दिसंबर को शुरू हुए प्रशिक्षण में सिमुलेशन ट्रेनिंग के माध्यम से अमानत मेंटर्स को ऑन द स्पॉट नहीं बल्कि डमी के माध्यम से जानकारी दी गयी. ओरिएंटेशन ट्रेनिंग आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य उन्हें अस्पताल के सभी विभागों की जानकारी और कार्यशैली से अगवगत कराना होता है. जिसमें ऑपरेशन थिएटर रूम, लेबर रूम, ओपीडी सहित अन्य विभागों के बारे में विस्तृत रूप से तकनीकी जानकारी दी गई है. उन्हें इन विभागों में काम करने के लिए मरीजों से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं और जटिलताओं की भी जानकारी दी गई है.
प्रशिक्षण में प्रदर्श के साथ किया गया जीएनएम नर्सों का स्किल डेवलपमेंट :
जीएनएम को प्रशिक्षित करने का एक और मुख्य उद्देश्य यह है कि आने वाले दिनों में सभी तकनीक में दक्ष जीएनएम नर्स किसी भी विभाग में बिना बाधा के काम कर सके. साथ ही, किसी भी विभाग में काम करने के दौरान आसानी से मरीजों में होने वाली परेशानी को पहचान कर उसका सही तरीके से इलाज कर पाएंगी. इसके लिए ओरिएंटेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम से जीएनएम नर्सों का प्रदर्श के साथ स्किल डेवलपमेंट किया जाता है. सिमुलेशन ट्रेनिंग में उन्हें पीपीई डोनिंग एंड डोफिंग, हैंड वाशिंग, वाइटल मॉनिटर, बीपी- पल्स रेट, टेम्परेचर चेकिंग, ऑक्सीजन लगाना, इंजेक्शन लगाना, कैथेटर लगाना, ऑटो क्लेव लगाना, लेबर रूम व्यवस्थित करना, मरीजों में होनी वाली जटिलताओं को पहचानने और उसे दूर करने के बारे में बताया गया है. साथ ही, उन्हें अस्पताल से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट का प्रबंधन करने की भी जानकारी दी गई है.
सही समय पर प्रसव की जटिलताओं की पहचान जरूरी :
केअरइंडिया के बीएम आलोक कुमार रंजन ने बताया प्रसव के दौरान आने वाली जटिलताओं कोपूर्व ही समाप्त किया जा सकता है. लेकिन, इसके लिए उन जटिलताओं का समय पर पहचान जरूरी है. ओरिएंटेशन ट्रेनिंग प्राप्त जीएनएम नर्स सुरक्षित संस्थागत कराने में अहम भूमिका अदा करेगी. जीएनएम नर्सों को लेबर रूम और ऑपरेशन थियेटर से सबंधित सभी आवश्यक तकनीकी पहलुओं से अवगत कराया गया है. ताकि, वो इन स्थानों पर मरीजों में होने वाली जटिलताएं पहचान कर, उसका यहीं समय पर समुचित इलाज कर सके. इस प्रशिक्षण के बाद मातृ-शिशु स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के साथ-साथ मातृ-शिशु मृत्यु दर को भी कम करने में मदद मिलेगी.
Comments
Post a Comment