2018 में हुए बहुजन समाज पार्टी के नेता खूंटी यादव के हत्याकांड मामले में हत्या के आरोपितों को न्यायधीश ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा..
-जिला एवं सत्र न्यायधीश द्वितीय बिजेंद्र कुमार के कोर्ट ने सुनाया फैसला।
-इस काण्ड के 5 अभियुक्तों को साक्ष्य के अभाव व संदेह के लाभ के तहत किया गया बरी।
एक्सप्रेस न्यूज़, बक्सर : बहुजन समाज पार्टी के नेता खूंटी यादव हत्या के मामले में न्यायालय ने 2 अभियुक्तों के विरुद्ध दोष सिद्ध पाया। दोनों हत्यारों को न्यायधीश ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अधिवक्ता संघ के सूत्रों के अनुसार नगर थाना कांड संख्या 261/2018 तथा सत्रवाद संख्या 105/2020 में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय बिजेन्दर कुमार ने इस वाद के नामजद अभियुक्तों रामेश्वर सिंह और कंचन सिंह को हत्या में आजीवन कारावास, हत्या के प्रायस में 10 साल और शस्त्र अधिनियम के तहत साल की सजा सुनाई है। वाद के शेष 5 अभियुक्तों को साक्ष्य के अभाव व सन्देह का लाभ देते हुए मुकदमा से मुक्त कर दिया गया।
लोक अभियोजक गोपाल जी राम ने बताया कि 18 मई 2018 को रात्रि पौने 9 बजे नामजद अभियुक्तों ने इटाढ़ी गुमटी के पास स्कोर्पियो पर सवार बसपा के प्रदेश महासचिव खूंटी यादव की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हमले में मृतक के पुत्र यशवंत सिंह भी घायल हो गए थे। उन्हीं के बयान के आधार पर इस मामले में नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी।
पुलिस ने बक्सर नगर थाना कांड संख्या 261/2018 अंतर्गत 302,307,120 बी,34 भादवि एवं 27 आर्म्स एक्ट में प्राथमिकी दर्ज की थी। दोषसिद्ध हत्यारों को हर धारा में कारावास की सजा के साथ अर्थदंड भी दिया गया है। अर्थ दंड नहीं देने पर 6 महीने की कारावास की सजा और भुगतनी होगी। हत्यारों को सजा भुगतने के लिए केंद्रीय कारा बक्सर भेज दिया गया है।
इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी चितरंजन सिंह 5 वर्ष पूर्व हो चुकी है हत्या :
बीएसपी नेता हत्याकांड के मुख्य आरोपी अधिवक्ता चितरंजन सिंह की भी अपराधियों ने 5 वर्ष पूर्व ही गोली मारकर हत्या कर दी है. वह न्यायालय से अपना काम करने के बाद अपने गांव सदर प्रखंड के जगदीशपुर जा रहे थे। इसी दरमियान हमलावरों ने उन्हें न्यायालय के गेट के बाहर निकलते ही गोलियों से भुनकर हत्या कर दी थी। मृत अधिवक्ता पर यह आरोप था कि उन्होंने 3 लाख रुपये की सुपारी देकर खूंटी यादव की हत्या करायी थी। जानकारी के मुताबिक बीएसपी नेता की हत्या भूमि विवाद में की गई थी. उसमें खुलासा हुआ था कि चितरंजन, ददन चौधरी, काउन चौधरी, रामेश्वर चौधरी ने दिनेश राय से खूंटी यादव की हत्या करने के लिए कहा था। वहीं जमीन की वारिस हत्या के मामले में भी चितरंजन सिंह का नाम आया था। जिसमें वह जेल भी गए थे।
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