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अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देने के साथ हीं सूर्य उपासना का पहला अर्घ संपन्न, डीएम ने कहा ओवर ऑल सब कुछ रहा ठीक..



- अपने यजमानों व देश के खुशहाली के लिए किन्नर समाज ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ।


- साबित ख़िदमत हॉस्पिटल एवं मानवाधिकार व सामाजिक न्याय ने लगाया फ्री मेडिकल कैम्प।


एक्सप्रेस न्यूज़, बक्सर: सूर्यदेव को समर्पित चार दिवसीय त्यौहार के तीसरे दिन आज व्रतियों के द्वारा अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ दिया जाता है। जिसको लेकर 3:00 बजे से व्रती और उनके परिजन विभिन्न छठ घाटों पर प्रस्थान कर गए। अपने चयनित घाटों पर जाकर विधि विधान से पुरानी परंपराओं के अनुसार छठ गीत को गाते हुए पूरे ही भक्तिमय माहौल में छठ व्रती शुभ मुहूर्त का इंतजार करते रहें। 


बता दें कि छठ व्रत का दूसरा दिन  खरना था और आज सूर्य उपासना के तीसरे दिन छठ व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देने के लिए लोग घाटों पर पहुंचे। कई लोग अपने घर के छत पर भी सूर्य भगवान को जल अर्पित किए। साथ ही साथ कई पोखरे तालाब में भी लोगों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ दिया। अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देने का यह परंपरा काफी पुरानी है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी के दिन व्रती महिलाएं व पुरुष उपवास करते हैं और किसी तलाब पोखरे या गंगा नदी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ देते हैं। छठ पर्व का यह तीसरा दिन और चौथ दिन काफी खास माना जाता है। 



आज शाम सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्घ दिया गया. छठ पर्व का यह पहला अर्घ है और अर्घ को देने का सही समय शाम 5 बजकर 26 मिनट था. मान्यता है कि इस दिन व्रती महिला के अलावा परिवार के सदस्यों को भी अर्घ देना चाहिए. अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव की अराधना करने का परंपरा है. सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने के बाद 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. 20 नवंबर को सूर्योदय 6 बजकर 27 मिनट पर होगा. व्रती के पारण करने के बाद 36 घंटे के व्रत का समापन होगा.


माना जाता है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि को महिलाएं उपवास करती हैं और संध्याकाल में अस्त हो रहे सूर्य को अर्घ देती हैं. यह अर्घ पानी में दूध डालकर दिया जाता है. सूर्य अर्घ के समय व्रती महिलाओं के साथ परिवार के सदस्य भी मौजूद होते हैं. इस शाम में अर्घ देने के लिए बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, चावल के लड्डू, नारियल, गन्ना मूली, कंदमूल आदि से सूप को सजाकर तैयार कर पूजा की जाती है. छठ का व्रत करने वाली महिलाएं खरना वाले दिन बने प्रसाद ग्रहण करने के बाद कुछ नहीं खाती हैं, जिसके बाद ही 36 घंटों का निर्जला व्रत शुरू होता है.



छठ पर्व के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ देने के बाद चौथे दिन यानी कल सोमवार को उगते सूरज को अर्घ देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है और इसके बाद ही व्रती महिलाएं कुछ खा पी सकती हैं. मान्यता है कि इन 36 घंटों को दौरान व्रती महिलाओं को पानी, जूस, दूध या किसी भी अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए.

सूर्य देव को अर्घ देने के नियम

इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य अर्घ्य देने के लिए किसी साफ लोटे में जल लेकर उसमें कच्चा दूध मिलाएं.
इसी लोटे में लालचन्दन, लालफूल, चावल और कुश डालकर पूरे मन से सूर्य की ओर मुख करके खड़े हो जाएं.
पानी के इस कलश को छाती के बीच थोड़ा ऊपर उठाएं और सूर्य मंत्र का जाप करें.
अब धीरे-धीरे जल की धारा प्रवाहित कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और पुष्पांजलि अर्पित करें.
जल प्रवाहित करते समय अपनी नजर कलश की धारा वाले किनारे पर ही रखें.



चलिए जानते हैं क्यों दिया जाता है डूबते सूर्य को अर्घ?


हिंदू परंपरा में छठ एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें शाम के समय यानी डूबते सूर्य को अर्घ दिया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सांयकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ देकर उनकी उपासना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस समय सूर्य की पूजा से व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. ज्योतिषियों के अनुसार, ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है. इसके अलावा सेहत से जुड़ कई समस्याएं भी दूर होती हैं.



आज बक्सर के विभिन्न छठ घाटों  पर लोगों ने डूबते सूर्य को शुभ मूहुर्त में अर्घ दिया और फिर सूर्य भगवान की उपासना भी लोगों ने किया। इसी के साथ दूर दराज से आये लोग छठ घाट पर ही ठहर गए तथा जिनके घर नजदिक थे वे अपने घर लौट गए। फिर कल सुबह लोग अपने चयनित छठ घाट पर पहुंच कर उगते सूर्य को अर्घ देंगे इसी के साथ छठ महापर्व का 36 घंटे का यह उपासना सम्पूर्ण हो जाएगा। 


किन्नर समाज के द्वारा भी सूर्य उपासना का यह महापर्व मनाया गया। उन्होंने भी अपने यजमानों के खुशहाली संपन्नता के लिए 36 घंटे का यह महापर्व पर उपासना बड़े ही धूमधाम से किया। उनके द्वारा परंपरागत तरीके से छठ महापर्व का उपासना छठ घाट पर  काफी चर्चा का विषय बना था। किन्नर समाज के मालिक ने कहा कि अपने यजमानों के ख़ुशहाली संपन्नता और उनके बच्चों के बेहतर भविष्य के कामना व देश की खुशहाली के लिए हम लोगों ने  सूर्य देव का उपासना किया है।


जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी लगतार छठ घाट का जायजा लिया। बक्सर डीएम अंशुल अग्रवाल एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा एसपी मनीष कुमार व अन्य अधिकारी लगातार जहाज के माध्यम से छठ घाटों का जायजा लिया। 



बक्सर डीएम अंशुल अग्रवाल ने कहा कि पहले दिन अस्ताचलगामी सूर्य का उपासना लोगों ने पूरे ही भक्तिमय माहौल में किया। डूबते सूर्य को लोगों ने अर्घ दिया। कहीं से कोई अप्रिय घटना की सूचना नही है। प्रशासन के व्यवस्था से लोग काफी संतुष्ट दिखे। हर तरफ चाक चौबंद व्यवस्था की गई है। ताकि किसी भी तरह की परेशानी छठ व्रतियों को ना हो। उन्होंने कहा कि ओवर आल सब जगह शातिं पूर्ण तरीके से भक्तिमय माहौल में पहले दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ दिया।


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